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Showing posts from March, 2019

Narendra Modi and Narendra Modi's Tea

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"Narendra Modi and Narendra Modi's Tea"  नरेंद्र मोदी सूक्ष्म परिचय:-  नरेंद्र मोदी एक बहुत ही गरीब परिवार से हैं। जिनका जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम दामोदरदास मूलचंद मोदी था और माता का नाम हीराबेन मोदी था। इनकी पत्नी का नाम जशोदाबेन है। यह हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का एक सूक्ष्म परिचय है। लेकिन मुख्य उद्देश्य नरेंद्र मोदी जी की चाय के ऊपर लिखना है । चाय को सभी वर्गों के लोग पीते हैं। वैसे तो गरीब और अमीरी का चक्कर चलना एक स्वाभाविक है लेकिन असलियत में गरीब वही है जो अपनी सोच का विस्तार नहीं करता, जो व्यक्ति अपनी सोच अर्थात विचारों का धनी है वह गरीब नहीं हो सकता। वह, कैसा भी कठिन रास्ता हो अपना मार्ग बना ही लेता है और यही महान व्यक्तित्व की पहचान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की चाय और चाय की विशेषतायें:- हिंदुस्तान की चाय का आज दुनिया में कोई मुकाबला नहीं कर सकता क्योंकि हमें इसके पीछे के रहस्य को समझना होगा वैसे तो चाय, दूध ,पत्ती, मीठा डालकर बनाई जाती

GEETA-BHAG FIVE

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"geeta bhag five" अर्जुन बोले :- हे कृष्ण! आप कर्मों के संन्यास की और फिर कर्म योग की प्रशंसा करते हैं। इसलिए इन दोनों में से जो एक मेरे लिए भलिभांति निश्चित कल्याणकारी साधन हो, उसको कहिये।। श्री भगवान बोले: - कर्मसन्यास और कर्मयोग- ये दोनों ही परमकल्याणकारी हैं।  परन्तु इन दोनों में भी कर्मसन्यास से कर्मयोग साधन में सुगम होने से श्रेष्ठ है। हे अर्जुन! जो पुरुष न किसी से द्वेष करता है और न किसी की आकांक्षा करता है,वह कर्मयोगी सदा संन्यासी ही समझने योग्य है; क्योंकि राग-द्वेषादि द्वन्द्वौ से रहित पुरुष सुखपूर्वक संसार बंधन से मुक्त हो जाता है। उपर्युक्त संन्यास और कर्मयोग को मुर्ख लोग पृथक-पृथक फल देने वाले कहते हैं न कि पंडितजन,क्यौंकि दोनों में से एक में भी सम्यक् प्रकार से स्थित पुरुष दोनों के फलस्वरूप परमात्मा को प्राप्त होता है। ज्ञानयोगियौं द्वारा जो परमधाम प्राप्त किया जाता है, कर्मयोगियों द्वारा भी वही प्राप्त किया जाता है। इसलिए जो पुरुष ज्ञानयोग और कर्मयोग को फल रुप में एक देखता है।वह यथार्थ देखता है। परन्तु हे अर्जुन! कर्मयोग के बिना

GEETA-BHAG FOUR

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" geeta-bhag--four " Shree krishana ne Arjun ko kaha:- श्री भगवान बोले :-                           मेंने इस अविनाशी योग को सूर्य से कहा था; सूर्य ने अपने पुत्र वैवस्वत मनु से कहा और मनु ने अपने पुत्र राजा इक्ष्वाकु से कहा।।                              हे परंतप अर्जुन! इस प्रकार परंपरा से प्राप्त इस योग को राजर्षियौं ने जाना; किंतु उसके बाद वह योग बहुत काल से इस पृथ्वी लोक में लुप्तप्राय हो गया।।                              तू मेरा भक्त और प्रिय सखा है, इसलिए वही यह पुरातन योग आज मैंने तुझको कहा है; क्योंकि यह बड़ा ही उत्तम रहस्य है अर्थात गुप्त रखने योग्य विषय है। अर्जुन बोले :-                     आपका जन्म तो अर्वाचीन अभि हाल का है और सूर्य का जन्म तो बहुत पुराना है अर्थात कल्प के आदि में हो चुका था।तब मैं इस बात को कैसे समझुं कि आप ही ने कल्प के आदि में यह योग कहा था। श्री भगवान बोले :-                            हे अर्जुन! मेरे और तेरे बहुत से जन्म हो चुके हैं।उन सबको तू नहीं जानता किंतु मैं जानता हूं।।