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Showing posts from July, 2019

Power of mind

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"power of mind" Power of Mind अपने अवचेतन मन कि शक्ति को पहचानें हम सभी असीमित दौलत के अथाह समुद्र में रहते हैं। आपका अवचेतन मन आपके चेतन विचारों के प्रति बहुत संवेदनशील होता है , यह चेतन विचार सांचे की तरह काम करते हैं , जिनमें आपके अवचेतन का असीमित ज्ञान, बुद्धि, जीवन शक्ति और ऊर्जा प्रवाहित होती है। अगर आप सांचे को अधिक सकारात्मक बना दें तो आपको इस असीमित ऊर्जा से अत्यधिक लाभ हो सकता है।     अधिकांश महान वैज्ञानिकों , कलाकारों, कवियों, गायकों, लेखकों और आविष्कारकों को चेतन और अवचेतन मन की कार्यविधि की गहरी समझ थी। इसी वजह से उन्हें अपने लक्ष्य हासिल करने की शक्ति मिली।     एक बार महान ओपेरा गायक एनरिको, मंच पर जाने से घबरा रहे थे। डर के मारे उनके गले की मांसपेशियां ऐँठ गई थी, ऐसा लग रहा था कि जैसे उनके वाकतंतु को लकवा मार गया हो और वह बेकार हो गए हो। वह मंच के पीछे गायक की पोशाक पहने खड़े थे , और उनके चेहरे पर पसीना बह रहा था। कुछ ही पल बाद उन्हें हजारों प्रशंसकों की भीड़ के सामने मंच पर जाकर गाना था।     कांपते

Drashti

"Drashti" 💐दृष्टिकोण 💐 जीवन का महान पुरस्कार और उच्च भाग्य यही है कि मनुष्य किसी विशेष काम के लिए जन्म ले, ताकि उसमे लगा रहकर प्रसन्नता और सफलता हासिल करता रहे। यह प्रकृति का नियम है कि मनुष्य जिस कार्य को सर्वाधिक पसंद करता है, उसे उसी में विशेषता हासिल होती है। कितने लोग प्राप्त करते है जीवन के महान पुरस्कार और उच्च भाग्य को, उनकी संख्या कम ही होती है। वे ही लोग 2उच्च भाग्य का पुरस्कार पाने का अधिकार पाते है, जिनका सकारात्मक दृष्टिकोण होता है। सकारात्मक दृष्टिकोण वाले इंसान को संसार की कोई भी शक्ति उसे दुखी नही बना सकती। जीवन की सफलता और विफलता, सुख-दुःख यह सब व्यक्ति के दृष्टिकोण पर निर्भर करता है, यदि आपका दृष्टिकोण नकारात्मक है तो जीवन का अँधेरा पक्ष उभरकर सामने आयेगा, निराशा ही निराशा दिखाई देने लगेगी और तनाव ही तनाव उभरेगा। इसका एक कारण यह भी है कि मानव अपने स्वभाव व रुचियों को जानने का प्रयास नहीं करता। जब तक इंसान अपने स्वभाव व रुचियों से पैदा हुए दृष्टिकोण का मूल्यांकन करके यह नहीं जान लेता कि यह सकार

Sleep disorder

"sleep disorder" अनिंद्रा ( Sleep Disorder)  अनिंद्रा आज के समय में आम बीमारी होती जा रही है जीवन का सुख और चैन समाप्त होगा तो अनिंद्रा की बीमारी धर दबाेचेगी और आवश्यकता से अधिक पाने की इच्छा, जीवन के प्रति असंतोष तथा भौतिक सुख सुविधाओं के प्रति अंधी आस्था ने मनुष्य के जीवन में इतनी अधिक गतिशीलता उत्पन्न कर दी है कि किसी साधारण व्यक्ति को भी जीने के लिए नाना प्रकार के पापड़ प्रतिदिन बेलने पड़ते हैं जब हमारा चेतन मन सो जाता है तो मस्तिष्क और शरीर दोनों निंद्रा अवस्था में चले जाते है अनिंद्रा कोई रोग नहीं है यह रोग का लक्षण है जब चेतन मस्तिष्क में कोई विचार सक्रिय रहता है तो नींद नहीं आती ।नींद के लिए मस्तिक में मौजूद निंद्रा केंद्र की सक्रियता आवश्यक है किंतु चेतन मन के सक्रिय रहने से निंद्रा केंद्र निस्प्रभावी हो जाते है लगातार अनिंद्रा की स्थिति बने रहने से मस्तिष्क व शरीर को आराम नहीं मिल पाता जिससे मन मस्तिष्क स्नायु मंडल व शरीर थक जाता है परिणाम स्वरूप संपूर्ण सरीर व मस्तिष्क क्रियाओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है अनिंद्रा शरीर व मन की अनेक बीमारियों क

Science of mantra

"science of mantra" पूनम जी ने सवाल किया है कि जैसा हम सोचते हैं वैसा होता तो नहीं है पूनम जी मैं आपकी बातों से सहमत हूं क्योंकि यदि यह सब इतनी जल्दी होता तो सब कुछ अस्त-व्यस्त हो जाता स्वयं चलने वाले विचार भी अपना प्रभाव डालते हैं लेकिन उसमें इतना समय लग जाता है कि आप यह भी भूल जाते हैं कि कभी आपके मन में ऐसे विचार आए थे मैं इस बात को पूरी तरह स्वीकार करता हूं की हर कोई मंत्रों का पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं कर सकता है नकारात्मक स्थिति में विचार शक्ति जो एक समय बाद मंत्रों का रुप ले लेती है आपने देखा होगा कि सदमे में इंसान की जान तक चली जाती है यह कितनी अजीब बात है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ, न कुछ हानिकारक खिलाया फिर भी इंसान की मृत्यु हो गई विचार भावना से उत्पन्न शक्ति श्रंखला बनाती हुई धीरे धीरे ऐसे इंसान की जीवनी शक्ति को खा जाती है और इंसान सहज अपने जीवन को छोड़ देता है सदमे में इंसान कहता है कि वह मेरा बहुत प्रिय था मैं उसके बिना जी नहीं सकता वह इन विचारों का मंत्र बना लेता है और फिर ऐसी ही घटना घट जाती है और यदि  नकारात्मक घटना  पूरे परिवार के साथ घट

Thinking

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"Thinking" (विचार शक्ति) हर क्रिया की मैनूफ्स्टेशन हमारे मस्तिष्क में चलने वाले विचारों से होती है विचार मस्तिष्क में दो प्रकार से चलते हैं पांचो इंद्रियों से मिलकर मस्तिष्क में स्वत् उत्पन्न होने वाले विचार दूसरे स्वयं अपनी इच्छा से बनाए हुए विचार अक्सर इंसान जब अपनी इच्छा से विचार चलाता है तो उन विचारों में डर और संशय को शामिल कर लेता है क्योंकि इंसान का मन यह कह रहा होता है कि ऐसे कैसे हो सकता है ऐसे होना संभव नहीं तुम नया घर कैसे खरीद सकते हो तुम्हारे पास तो इतने अधिक रूपए भी नहीं और फिर भविष्य में वही परिणाम हमें प्राप्त होता है जरा सोचिए ह्यूमन साइकोलॉजी ने तो पूर्ण रूप से अपने सिद्धांतों पर कार्य किया बाद में हम कहते हैं कि अरे यह सिद्धांत काम नहीं करते तो जरा सोचें कि कितने समय हमारे मन में पॉजिटिव विचार चलें और कितने समय नेगेटिव विचार माना इंसान को किसी कार्य में परिणाम प्राप्त करने के लिए सौ प्रतिशत ऊर्जा की जरूरत है जो इंसान पॉजिटिव सोचने पर भी परिणाम को प्राप्त नहीं कर पाता तो समझिए वह ( - 100) में था और अब जीरो पर आ गया है ऐसे इंसा

Game

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"Game" ब्लू व्हेल गेम -  नहीं   (आत्महत्या) आपने ब्लू व्हेल गेम के बारे में न्यूज़पेपर WhatsApp या Facebook पर पढ़ा होगा कुछ दिन पहले सिरसा से ब्लू व्हेल गेम का केस मेरे पास आया यह एक 12 साल का लड़का था जो छठी क्लास में पड़ता है इस केस को स्टडी करने पर मुझे जो पता चला वह मैं आपके सामने रखना चाहता हूं 12 साल का अजय (काल्पनिक नाम) छठी कक्षा में पढ़ता है कंप्यूटर या मोबाइल पर गेम खेलने का बहुत अधिक शौकीन है एक दिन उसने ब्लू व्हेल गेम को लॉगइन किया जब एडमिन ने पूछा अभी आप गेम को छोड़ सकते हैं गेम शुरू होने के बाद न तो आप गेम को छोड़ सकते हैं और ना ही मैं छोड़ने दूंगा उसने गेम खेलना शुरु कर दिया अजय की मम्मी ने बताया कि जब इसे टास्क दिया गया हाथ ब्लेड से काटने का तो इसने रेड पेन से निशान बना कर फोटो खींच कर भेज दिया कलाई पर ब्लेड से ब्लू व्हेल बनाने का टास्क मिला तो इसने मेहंदी से ब्लू व्हेल बनाकर फोटो खींचकर भेज दिया इस तरह जहां तक संभव हो सका यह एडमिन को बेवकूफ बनाने की कोशिश करता रहा कठिन टास्क आने पर वह टास्क पूरे नहीं कर पा रहा था एडमिन की तरफ से धमकिय

Science of Upvash

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"Science of Upvash" भारतीय संस्कृति में व्रत का बड़ा ही महत्व है लेकिन जिन विचारों के साथ व्रत किया जाता था आज वह अपने आधार से हट गया है व्रत एक साधना है जो हठयोग से जुड़ी हुई है हठयोग में प्रकृति से हटकर या विपरीत कार्य करके ध्यान किया जाता है या अपने इष्ट देवता को मनाया जाता है यह ध्यान की एक अद्भुत क्रिया है क्योंकि सहज योग में किसी भी लक्ष्य के लिए ध्यान लगाना कठिन होता है बार बार ध्यान अन्य विचारों पर चला जाता है  किंतु जब इंसान व्रत करता है तो वह भूखा रहता है इस भूख के कारण उसका पूरा ध्यान स्वयं पर बना रहता है और व्रतधारी व्रत के प्रारंभ में जो संकल्प लेता है वह संकल्प को बार बार दोहराता रहता है जिससे उसकी एकाग्रता संकल्प पर बनी रहती है और उसका संकल्प सिद्ध हो जाता है यही व्रत का सही नियम है जैसे हठयोगी दो पैरों के स्थान पर एक पैर पर खड़ा हो जाता है वह जानबूझकर अप्राकृतिक क्रिया करता है दर्द के कारण दर्द के कारण  उसका पूरा ध्यान उस एक अंग पर आ जाता है वह अपने ज्ञान और साधना के बल पर उस दर्द का संबंध अपने इष्ट देवता से जोड़ देता है एक स