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Showing posts from February, 2019

GEETA-BHAG THREE

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" GEETA-BHAG THREE " "Geeta-Bhag three "  इस संवाद में अर्जुन बोले, अर्जुन बोले :- हे जनार्दन! यदि आपको कर्म की अपेक्षा ज्ञान श्रेष्ठ मान्य है तो फिर हे केशव मुझे भयंकर कर में क्यों लगाते हैं    आप मिले हुए से वचनों से मेरी बुद्धि को मानो मोहित कर रहे हैं इसलिए उस एक बात को निश्चित करके कहिए जिससे मैं कल्याण को प्राप्त हो जाऊं। श्री भगवान भोले :- हे निश्पाप! इस लोक में दो प्रकार की निष्ठा मेरे द्वारा पहले कही गई हैं।उनमें से सांख्ययोग की  निष्ठा तो ज्ञान योग से और योगियों की निष्ठा कर्म योग से होती है। मनुष्य न तो कर्मों का आरंभ किए बिना निष्कर्मता यानी योग निष्ठा को प्राप्त होता है और न कर्मो के केवल त्याग मात्र से सिद्धि यानी सांख्यनिष्ठा को ही प्राप्त होता है। नि:संदेह कोई भी मनुष्य किसी भी काल में क्षणमात्र भी बिना कर्म किए नहीं रहता, क्योंकि सारा मनुष्य समुदाय प्रकृति जनित गुणोंद्वारा परवश हुआ कर्म करने के लिए बाध्य किया जाता है। जो मूढ़बुद्धि मनुष्य समस्त इंद्रियों को हठपूर्वक ऊपर से रोककर मन से इंद्रियो

MOTIVATION FOR WIFE AND HUSBAND

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"Motivation for wife and husband" MOTIVATION 🌷♦🌷♦🌷♦🌷 *👉🏿लड़की अपने ससुराल मैं कैसे खुश रहे* *1 लड़की अपनी माँ के साथ पुलिस थाने  मे  अपने पति एवं ससुराल वालो के खिलाफ शिकायत करने जाती है !* *वहां की आफिसर लड़की से पुछती  है ...* *क्या तुम्हारा पति  मारता हैं ?* *क्या वो तुमसे अपने माँ  बाप  से कुछ मांग के लाने को कहता है ?* *क्या वो तुम्हे खाने  पहनने  को  नहीं देता* *क्या  तेरे ससुराल वाले कुछ भला बुरा कहते है* *क्या वो तेरा  ख्याल नहीं रखता ?* *इंन सब सवालो का जवाब लड़की ने  नही में दिया !* *इस पर लड़की की माँ बोली की मेरी बेटी बहुत परेशान है !* *वो इसे टोरचेर करते है !* *अफसर समझ गयी !* *उसने लड़की की माँ से पुछा बहन जी  क्या  आप घर में दही ज़माती  हो ?* *लड़की की माँ नें कहा हाँ !* *अफसर : तो जब दही ज़माती हो तो बार बार दही को ऊंगली मार कर जाचती हो ?* *लड़की की माँ : जी अगर बार बार ऊंगली मार के जाचुंगी तो दही  कहा जमेगा ?* *वो तो खराब हो जाएगा* *अफसर : तो बहिन जी इस बात को समझिये* *शादी से पहले लड़की दूध थी !* *अब उस को

GEETA- BHAG TWO

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"GEETA--BHAG TWO" इस आर्टिकल में गीता के दूसरे अध्याय का अध्ययन करेंगे संजय बोले :- उस प्रकार करूणा से व्याप्त और आंसूओं से पूर्ण तथा व्याकुल नेत्रों वाले शोकयुक्त उस अर्जुन के प्रति भगवान मधुसूदन ने यह वचन कहा श्री कृष्ण बोले :- हे अर्जुन, तुझे इस असमय में यह मोह किस हेतु से प्राप्त हुआ? क्योंकि न तो यह श्रेष्ठ पुरुषों द्वारा आचरित है , न स्वर्ग को देने वाला है और न कीर्ति को करने वाला ही है। इसलिए हे अर्जुन! नपुंसकता को मत प्राप्त हो, तुझ में यह उचित नहीं जान पड़ती। हे परंतप ! हृदय की तुच्छ दुर्बलता को त्याग कर युद्ध के लिए खड़ा हो जा। अर्जुन बोले :- हे मधुसूदन! मैं रणभूमि में किस प्रकार बड़ो से भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य के विरुद्ध लडूंगा? क्योंकि हे अरि सुदन ! वे दोनों ही पूजनीय हैं। इसलिए इन महानुभाव गुरुजनों को न मारकर मैं इस लोक में भीख का अन्न भी खाना कल्याण कारक समझता हूं; क्योंकि गुरुजनों को मारकर भी इस लोक में रुधिर से सने हुए अर्थ और कामरुप भोगों को ही तो भोगुंगा हम यह भी नहीं जानते की हमारे लिए युद्ध करना और न करना- इन

GEETA -BHAG ONE

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" geeta--bhag one " Geeta-Bhag one   धृतराष्ट्र बोले :- हे संजय, धर्म भूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित युद्ध की इच्छा वाले मेरे और पांडु के पुत्रों ने क्या किया । संजय बोले :- उस समय राजा दुर्योधन ने व्यूहरचनायुक्त पांडवों की सेना को देख कर और द्रोणाचार्य के पास जा कर यह वचन कहा। हे आचार्य, आपके बुद्धिमान शिश्य द्रुपद पुत्र धृश्टधुमृद्वारा व्यूहरचनायुक्त खड़ी की हुई पांडू पुत्रों की इस बड़ी भारी सेना को देखिए। इस सेना में बड़े-बड़े धनुष वाले तथा युद्ध में भीम और अर्जुन के समान शूरवीर सात्यकि और विराट तथा महारथी राजा द्रुपद , दृष्टकेतु और चेकीतान तथा बलवान काशिराज , पूरुजित, कुंतीभोज, और मनुष्यों में श्रेष्ठशैब्य, पराक्रमी युधामन्नु तथा बलवान उत्तमौजा , सुभद्रा पुत्र अभिमन्यु एवं द्रोपदी के पांचों पुत्र यह सभी महारथी हैं हे ब्राह्मण श्रेष्ठ, अपने पक्ष में भी जो प्रधान हैं। उनको आप समझ लीजिए। आपकी जानकारी के लिए मेरी सेना के जो जो सेनापति हैं , उनको बतलाता हूं। आप द्रोणाचार्य और पितामह भीष्म तथा कर्ण और संग्राम विजय कृपाचार्य तथा वैसे ही अश्वत

IMPORTANCE OF GEETA

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" importance of geeta " वास्तव में श्रीमद्भागवत गीता का महत्व में वाणी द्वारा वर्णन करने के लिए किसी की भी सामर्थ नहीं है। क्योंकि यह एक परम रहस्य में ग्रंथ है।इसमें संपूर्ण वेदों का सार सार संग्रह किया गया है इसकी संस्कृत इतनी सुंदर और सरल है कि थोड़ा अभ्यास करने से मनुष्य उसको सहज ही समझ सकता है परंतु इसका अर्थ से इतना गंभीर है कि आजीवन निरंतर अभ्यास करते रहने पर भी उसका अंत नहीं आता। प्रतिदिन नए-नए भाव उत्पन्न होते रहते हैं इससे यह सदैव नवीन बना रहता है एकाग्र चित्त होकर श्रद्धा भक्ति सहित विचार करने से इसके पद पद में परम रहस्य भरा हुआ प्रत्यक्ष प्रतीत होता है भगवान के गुण प्रभाव और मर्म का वर्णन जिस प्रकार इस गीता शास्त्र में किया गया है वैसा अन्य ग्रंथों में मिलना कठिन है क्योंकि प्राय ग्रंथों में कुछ ना कुछ सांसारिक विषय मिला रहता है भगवान ने श्रीमद्भागवत गीता रूप एक ऐसा अनूपम में शास्त्र कहा है की जिसमें एक भी शब्द सत उपदेश से खाली नहीं है। श्री वेदव्यास जी ने महाभारत में गीता जी का वर्णन करने के उपरांत कहा है गीता सुगीता करने योग्य है अ

STORY OF MOTIVATION (B)

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Story of motivation (B) किताब का अध्ययन तो हम कर रहे हैं लेकिन उस अध्ययन से प्राप्त शिक्षा को अपने अंदर नहीं उतार रहे हैं पर हम को समझना होगा कि जो हम किताबों में पढ़ते हैं उसको हमें अपने अंदर उतारना भी है ना कि केवल उसको रट कर पास होना है इसी प्रकार जो शिक्षा देने वाले हैं उनको किताबी ज्ञान देने के साथ साथ नैतिक शिक्षा का ज्ञान देना भी बहुत जरूरी है नैतिक शिक्षा अर्थात सामाजिक सेवा ,सामाजिक ज्ञान की शिक्षा देना बहुत जरूरी है यदि हमने पढ़ाई को रट कर केवल नौकरी के उद्देश्य से अपनी कक्षाओं को पास किया तो वह केवल शिक्षा व्यापार मात्र है वह पढ़ाई लिखाई केवल इस तरह है किमानो पानी तो है पर प्यास नहीं बुझ रही है शिक्षा के साथ साथ संस्कारों का भी होना बहुत जरूरी है सद्गुणों का होना बहुत जरूरी है । इसलिए किसी व्यक्ति को शिक्षित होना तभी शोभा देता है जब वह छल कपट से दूर, बुराइयों से दूर हो और सत्य मार्ग का अनुसरण करते हुए परिश्रम करते हुए अपनी शिक्षा प्राप्ति को करें। Blogger MOTIVATION BY NAGESH CHOPRA  हमारी शिक्षा प्राप्ति के स्रोत जितने सकारात्मक होंगे उतने ही अधिक हम

MOTIVATION STORY THREE

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"Story of motivation" MOTIVATION BY NAGESH CHOPRA बहुत समय पहले जापान में कोई दो सौ वर्ष पहले एक बहुत अद्भुत संन्यासी हुआ। उस संन्यासी की एक ही शिक्षा थी कि जागो! नींद छोड़ दो। उस संन्यासी की खबर जापान के सम्राट को मिली। सम्राट जवान था, अभी नया नया राजगद्दी पर बैठा था। उसने उस फकीर को बुलाया। और उस फकीर से प्रार्थना की, मैं भी जागना चाहता हूं। क्या मुझे जागना सिखा सकते है? उस फकीर ने कहा, सिखा सकता हूं,लेकिन राजमहल में नहीं, मेरे झोपड़े पर आ जाना पड़ेगा! और कितने दिन में सीख पाएंगे, इसका कोई निश्चय नहीं है । यह एक-एक आदमी की तीव्रता पर निर्भर करता है; एक-एक आदमी के असंतोष पर निर्भर करता है कि वह कितना प्यासा है कि सीख सके । तुम्हारी प्यास कितनी है; तुम्हारी अतृप्ति कितनी है; तुम्हारी डिसकटेंट कितना है; तो तुम सीख सकते हो । और उस मात्रा में निर्भर होगा कि तुम कितने जल्दी सीख सकते हो । वर्ष लग सकते हैं, दो वर्ष लग सकते हैं, दस वर्ष लग सकते हैं । और मेरी शर्त है कि बीच से कभी आने नहीं दूंगा; अगर सीखना हो तो पूरी तैयारी करके आना । और साथ में यह भी बता

GENERAL KNOWLEDGE ONE

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General knowledge # महत्वपूर्ण शिक्षा आयोग # 1. बुड घोषणा पत्र____1854 2. लार्ड मैकाले_____1835 3. कोठारी आयोग____1964--1966 4. हण्टर आयोग (भारतीय शिक्षा नीति)_1882 5. NCERT _1961 6. SCERT_1981 7.बेसिक शिक्षा परिषद _1972 8. राष्ट्रीय शिक्षा नीति_1986 9. जिला शिक्षा प्राथमिक संघ_1986-87 10. ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड_1987-88 11. मिड डे मील (MDM)____1995 12. स्कूल चलो अभियान_____1995-96 13. सर्व शिक्षा अभियान_____2000-01 14. निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा_____2009 15. कस्तूरबा गांधी बालिका योजना_____2004 16. राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा रूपरेखा (NCF)_____2005 (UP मैं 2011 से लागू) 17. शिक्षा अधिकार अधिनियम _____2009 (लागू 1 अप्रैल 2010 ) 18. इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय_____1985 दिल्ली 19. राज्य शिक्षा संस्थान _____1964 इलाहाबाद 20. सर्वपल्ली आयोग______1948 1. भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कहाँ हुई थी? -- बोधगया 2. आर्य समाज की स्थापना किसने की ? -- स्वामी दयानंद ने 3. पंजाबी भाषा की लिपि कौनसी है ? -- गुरुमुखी 4. भा