Thinking
"Thinking"
(विचार शक्ति)
हर क्रिया की मैनूफ्स्टेशन हमारे मस्तिष्क में चलने वाले विचारों से होती है विचार मस्तिष्क में दो प्रकार से चलते हैं पांचो इंद्रियों से मिलकर मस्तिष्क में स्वत् उत्पन्न होने वाले विचार दूसरे स्वयं अपनी इच्छा से बनाए हुए विचार अक्सर इंसान जब अपनी इच्छा से विचार चलाता है तो उन विचारों में डर और संशय को शामिल कर लेता है क्योंकि इंसान का मन यह कह रहा होता है कि ऐसे कैसे हो सकता है ऐसे होना संभव नहीं तुम नया घर कैसे खरीद सकते हो तुम्हारे पास तो इतने अधिक रूपए भी नहीं और फिर भविष्य में वही परिणाम हमें प्राप्त होता है जरा सोचिए ह्यूमन साइकोलॉजी ने तो पूर्ण रूप से अपने सिद्धांतों पर कार्य किया बाद में हम कहते हैं कि अरे यह सिद्धांत काम नहीं करते तो जरा सोचें कि कितने समय हमारे मन में पॉजिटिव विचार चलें और कितने समय नेगेटिव विचार माना इंसान को किसी कार्य में परिणाम प्राप्त करने के लिए सौ प्रतिशत ऊर्जा की जरूरत है जो इंसान पॉजिटिव सोचने पर भी परिणाम को प्राप्त नहीं कर पाता तो समझिए वह ( - 100) में था और अब जीरो पर आ गया है ऐसे इंसान को परिणाम तक पहुंचने के लिए दुगनी मेहनत करनी होती है लेकिन इंसान 1 गुना मेहनत करके ही ठहर जाता है और फिर प्रकृति या अन्य सिद्धांतों व क्रियाओं को दोषी ठहराने लगता है इंसान को चाहिए कि वह रुके ना लगातार कार्य करता रहे सफलता अवश्य प्राप्त होगी उसे कोई नहीं रोक सकता यहां तक कि स्वयं परमात्मा भी नहीं क्योंकि परमात्मा ने ही प्रकृति के नियम बनाए हैं वह अपने नियमों को कभी नहीं तोड़ता वह स्वयं इन नियमों में ही निहित है
In English,
"Thinking"
(Thought power)
Manufestation of every action is done by the thoughts that run in our brain. The thoughts run in the brain in two ways; The thoughts that are generated by the five senses are generated automatically in the brain. Includes fear and skepticism in those thoughts because the human mind is saying how it can happen It is not possible, how can you buy a new house, you do not have so much money and then we get the same result in the future, just think Human Psychology has fully worked on its
principles, later we say that oh If the principles do not work, then think about how long positive thoughts should be in our mind and how long negative thoughts are believed to be the result of a human being. To achieve this, 100% energy is needed, which even if a person thinks positive, he cannot achieve the result, then understand that he was in (- 100) and now he has come to zero, such a person would have to work twice as hard to reach the result. But a person stops only after working hard for 1 time and then starts blaming nature or other principles and actions, a person should not stop and work
continuously Rapt will be no stopping him even own God not because God's laws of nature that never break your rules is contained itself in these rules.
Radha Krishna
(विचार शक्ति)
हर क्रिया की मैनूफ्स्टेशन हमारे मस्तिष्क में चलने वाले विचारों से होती है विचार मस्तिष्क में दो प्रकार से चलते हैं पांचो इंद्रियों से मिलकर मस्तिष्क में स्वत् उत्पन्न होने वाले विचार दूसरे स्वयं अपनी इच्छा से बनाए हुए विचार अक्सर इंसान जब अपनी इच्छा से विचार चलाता है तो उन विचारों में डर और संशय को शामिल कर लेता है क्योंकि इंसान का मन यह कह रहा होता है कि ऐसे कैसे हो सकता है ऐसे होना संभव नहीं तुम नया घर कैसे खरीद सकते हो तुम्हारे पास तो इतने अधिक रूपए भी नहीं और फिर भविष्य में वही परिणाम हमें प्राप्त होता है जरा सोचिए ह्यूमन साइकोलॉजी ने तो पूर्ण रूप से अपने सिद्धांतों पर कार्य किया बाद में हम कहते हैं कि अरे यह सिद्धांत काम नहीं करते तो जरा सोचें कि कितने समय हमारे मन में पॉजिटिव विचार चलें और कितने समय नेगेटिव विचार माना इंसान को किसी कार्य में परिणाम प्राप्त करने के लिए सौ प्रतिशत ऊर्जा की जरूरत है जो इंसान पॉजिटिव सोचने पर भी परिणाम को प्राप्त नहीं कर पाता तो समझिए वह ( - 100) में था और अब जीरो पर आ गया है ऐसे इंसान को परिणाम तक पहुंचने के लिए दुगनी मेहनत करनी होती है लेकिन इंसान 1 गुना मेहनत करके ही ठहर जाता है और फिर प्रकृति या अन्य सिद्धांतों व क्रियाओं को दोषी ठहराने लगता है इंसान को चाहिए कि वह रुके ना लगातार कार्य करता रहे सफलता अवश्य प्राप्त होगी उसे कोई नहीं रोक सकता यहां तक कि स्वयं परमात्मा भी नहीं क्योंकि परमात्मा ने ही प्रकृति के नियम बनाए हैं वह अपने नियमों को कभी नहीं तोड़ता वह स्वयं इन नियमों में ही निहित है
Radha Krishna
"Thinking"
(Thought power)
Manufestation of every action is done by the thoughts that run in our brain. The thoughts run in the brain in two ways; The thoughts that are generated by the five senses are generated automatically in the brain. Includes fear and skepticism in those thoughts because the human mind is saying how it can happen It is not possible, how can you buy a new house, you do not have so much money and then we get the same result in the future, just think Human Psychology has fully worked on its
Radha Krishna
Nice post hai https://jaikarindia.blogspot.com/2019/10/blog-post.html
ReplyDelete