GOD DIRECTIONS


"God Directions"
परमपिता परमात्मा ने हमें पूरी तरह से सच्चा इंसान बनाया और अपने ही अंश से इंसान का निर्माण किया तो भला हम कैसे अधर्मी हो सकते हैं। हमारे उपर धर्म की अदालत है और इस धर्म की अदालत का जज परमपिता परमात्मा है। धर्म की अदालत से उपर और कोई अदालत नहीं है। मुझे और हम सब को सनातन धर्म की अदालत के नियमों के अनुकूल चलना है और अपने जज परमपिता परमात्मा पर सदैव विश्वास रखना है। जहाँ धर्म है वहीं पर स्वर्ग का आनंद है। सच्चे आनंद की अनुभूति हमको तभी होती है जब हमारे मन में उठने वाले नकारात्मक विचारों से हम पूर्णतया मुक्त होते हैं। हमारा मन एक आकाश की तरह है जिसमें अनेक विचारों का आदान-प्रदान होता रहता है। लेकिन हमको उस नकारात्मक ऊर्जा से न तो प्रभावित होना है न ही उससे जुड़ना है। क्योंकि परमपिता परमात्मा ने हमको सोचने और समझने की शक्ति हम इंसानों को दी है और जब हम सब कुछ समझते हुए नकारात्मक कार्य (अकर्मण्य) और नकारात्मक विचारों से जुड़ जाते हैं तो यह हमारे चरित्र को और स्वंय को नष्ट करने वाला कार्य बन जाता है। नकारात्मक विचारों का प्रभाव इतनी तीव्र गति से चल रहा है कि हमको सदैव संघर्ष करने में तत्पर रहना है अपने आप को पूर्णतया पवित्र बनाये रखने के लिए परमपिता परमात्मा से सदैव जुड़ते हुए अपने जीवन को आनंद के साथ जीना है।
***जिस प्रकार हम किसी बीमारी को सही करने के लिए डाक्टर के पास जाते हैं दवाइ खाने के साथ हम परहेज भी करते हैं और हमारी बिमारी सही हो जाती है
***ठीक इसी प्रकार परमपिता परमात्मा को समझने के लिए हमको गुरू रूपी कल्याणकारी शिक्षा की आवश्यकता है इसके लिए हमको उस परमपिता परमात्मा का सुमिरन करना चाहिए और गलत बिचारों से परहेज करना चाहिए तभि हम उस परमपिता परमात्मा को समझ सकते हैं। जितनी दृढ़ता से हम भगवान् के रास्ते पर चलेंगे उतना ही हम अपने आप को प्रभु के  नजदीक पायेंगे।
प्रभु का भजन एक औषधि की तरह है जो हमको पवित्र करता है और बुराइयों से लड़ने की शक्ति देता है।
***जिस प्रकार गंगा में स्नान करने के लिए हम जाते हैं और स्नान करते हैं लेकिन गंगा में जो गंदगी है उस का हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि हम दृण संकल्पित होते हैं स्नान करके अपने आप को पवित्र बनाये रखने के लिए, ठीक इसी प्रकार परमपिता परमात्मा के प्रति सदैव हमको दृण संकल्पित रहना है। जिससे नकारात्मक विचारों का हम कोई प्रभाव नहीं हो और ना ही हम उलझ सकें ।
 ****जिस प्रकार एक दीपक अंधेरे को खा जाता है ठीक उसी प्रकार अपनी आत्मा रूपी बत्ती को, शरीर के माध्यम से प्रकाशित करना है और अपने जीवन के अंधेरे को हमेशा -हमेशा खत्म कर देना चाहिए।
****परमपिता परमात्मा के पास सब कुछ है जब आप परमपिता परमात्मा की शरण में आ जायेंगे तो आप भी समर्थ हो जायेंगे।


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